मंगलवार, 3 जनवरी 2017

कहते हैं लालाजी निर्मल साहब : 'अगर आप धनपशु नहीं हैं तो आज की राजनीति में सर्वाईव नहीं कर सकते' ------ विजय राजबली माथुर



हिंदुस्तान,लखनऊ,02-01-2016,पृष्ठ ---02

वर्ष 1979 में  RSS (राजनारायन संजय संघ ) के सहयोग से चौधरी चरण सिंह जी प्रधानमंत्री बन चुके थे और उनके भांजे साहब को होटल मौर्य कर्मचारी संघ ,दिल्ली का अध्यक्ष बना दिया गया था जो आगरा आकर होटल मुगल कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों को दिल्ली  आमंत्रित कर गए थे। आगरा से पाँच प्रतिनिधि दिल्ली गए थे जिनमें महामंत्री की हैसियत से मैं भी शामिल था। लौटते में G T एक्स्प्रेस में हमारे साथियों का सीट को लेकर विवाद जिन सज्जन से हुआ वह डॉ राजेन्द्र कुमारी बाजपेयी (राज्यसभा सदस्य एवं यू पी की पूर्व विद्युत मंत्री ) के भांजे साहब थे। मैंने उनको बैठने का स्थान उपलब्ध करा दिया और चर्चा के दौरान उनसे उनके राजनीति में शामिल होने के बारे में  उनके विचार पूंछे । वह तब बिजनेस प्रारम्भ किए ही थे और उनका कहना था कि, जब पर्याप्त धन जुटा लेंगे तभी राजनीति में उतरेंगे; मेरे लिए भी उनका सुझाव था कि, यदि मुझे राजनीति में आना हो तो पहले बिजनेस करके धन एकत्र करूँ तभी आऊँ वरना कामयाब नहीं हो पाऊँगा। आज की परिस्थितियों में उनका कथन अक्षरश : सत्य प्रतीत होता है।

सारू स्मेल्टिंग कर्मचारी  संघ,मेरठ  की कार्यकारिणी और फिर होटल मुगल कर्मचारी संघ, आगरा के महामंत्री रह चुकने के बाद AITUC की मार्फत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आगरा के ज़िला कोषाध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुका हूँ तथा सक्रिय राजनीति में भी शामिल रहता हूँ लेकिन कोई बिजनेस या व्यवसाय न करने के कारण वरिष्ठ नेताओं को प्रभावित कर पाने  में असमर्थ रहता हूँ। बीच मे (बाद में 2006 में पुनः भाकपा में वापिस लौट चुका हूँ और अब लखनऊ में सक्रिय हूँ  ज़िला काउंसिल में भी रहा हूँ )जब कामरेड मित्रसेन यादव जी के साथ  सपा में रहा था तब आगरा में नगर कार्यकारिणी में भी मुझे शामिल किया गया था। जब  2002 में आगरा मे सपा का विशेष राष्ट्रीय अधिवेन्शन हुआ था तब नगर महामंत्री फारुखसियर ने मुझसे पूछा था आपके पास वाहन क्या है? मेरे जवाब देने पर कि, साईकिल वह बिदक गए थे, मतलब कि, साधन - सम्पन्न होना ही सफलता का मंत्र था और यहाँ फिर 1979 में मिले रेल यात्री बाजपेयी साहब का कथन सत्य हो रहा था।
अभी सपा में जो राजनीतिक घमासान दीख रहा है वह वस्तुतः आर्थिक घमासान है जैसा कि, किरण्मय नंदा साहब ने कहा भी है कि, अमर सिंह सपा में व्यापार करने आए थे। मूलतः अमर सिंह राजनीतिज्ञ नहीं विशुद्ध व्यापारी ही हैं। जब वीर बहादुर सिंह जी यू पी के सिंचाई विभाग में ठेकेदार थे तब अमर सिंह जी उनके साथ पेटी ठेकेदार थे। वीर बहादुर जी कांग्रेस सरकार में सिंचाई मंत्री ही बनते थे क्योंकि उसी विभाग में उनका बिजनेस चलता था , मुख्यमंत्री होते हुये भी सिंचाई विभाग अपने ही पास रखे रहे थे। उसी समय विरोधी दल के नेता मुलायम सिंह जी को वीर बाहादुर सिंह जी के गोपनीय सूत्र उपलब्ध कराते रहने के कारण  उनके हितैषी बन गए  और आज भी बने हुये हैं पूर्व सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह जी भी उनके चहेते हैं। सिंचाई विभाग की ठेकेदारी से ही अपना बिजनेस बढ़ाते हुये आज उद्योगपति बन चुके हैं और राजनीति को प्राभावित करने की अपार क्षमता अर्जित कर चुके हैं।

वर्तमान परिस्थितियाँ भी उस व्यापारिक गतिविधि से उत्पन्न हुई हैं जिसे ZEE NEWS के मालिक सुभाष चंद्रा  साहब के राज्यसभा सदस्य बनने के उपलक्ष्य में दी गई अमर सिंह जी की पार्टी में जन्म मिला था। भाजपा के ज़ी न्यूज़ वाले अमर सिंह जी के सहयोग से यू पी में अपना बिजनेस खड़ा करना चाहते थे जिसमें मुख्यसचिव दीपक सिंघल का सहयोग मिलता। इसी कारण मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी ने राहुल भटनागर साहब को सिंघल साहब के स्थान पर मुख्यसचिव बना दिया था जिसकी कीमत उनको यू पी सपा के अध्यक्ष पद से हटने  के रूप में चुकानी पड़ी। चूंकि भाजपा सांसद यू पी में अपना बिजनेस नहीं जमा सके तो अमर सिंह जी के माध्यम से अखिलेश यादव जी के समक्ष पारिवारिक - राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया गया। वर्तमान परिस्थितियों  में जनतंत्र समर्थक और सांप्रदायिकता विरोधी शक्तियों को एकजुट होकर अखिलेश यादव जी का ठोस समर्थन करना चाहिए अन्यथा 2019 में फासिस्ट शक्तियाँ और मजबूत होकर सामने आ सकती हैं।


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04-01-2017 
04-01-2017 

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