गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014

साम्यवादी दल का वर्चस्व पुनः स्थापित किया जा सकता है ?---विजय राजबली माथुर


उपरोक्त फोटो से स्पष्ट होगा कि एक टिप्पणीकर्ता साहब इस बात पर ही यकीन नहीं कर रहे हैं कि अभी कुछ माह पूर्व ही केरल भाजपा के लोग केरल माकपा में शामिल किए गए हैं और उसके बाद पश्चिम बंगाल माकपा के लोग वहाँ की भाजपा में चले गए हैं। वह साहब करात साहब को बुद्धिजीवी विद्वान मानते हैं। यह करात साहब ही तो थे जिन्होने कामरेड ज्योति बसु को 1996 में प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था जिसे बाद में बसु साहब ने ऐतिहासिक भूल कहा था। 1997में भूतपूर्व कम्युनिस्ट इंदर गुजराल साहब तभी प्रधानमंत्री बन सके थे जबकि करात साहब से प्रभावित माकपा महासचिव कामरेड हरिकिशन सिंह सुरजीत साहब एक दिवसीय दौरे पर मास्को गए हुये थे जो कि मुलायम सिंह जी को देवगौड़ा साहब के स्थान पर पी एम बनाने पर सहमत थे किन्तु गृह मंत्री कामरेड इंद्रजीत गुप्त , पूर्व पी एम- वी पी सिंह आदि ने कामरेड ज्योति बसु से गुजराल साहब की घोषणा करवा दी थी। यदि करात साहब की दाल गल जाती तो गुजराल साहब की जगह मुलायम सिंह ही पी एम बनते जिनको 2014 में फिर एक बार करात साहब ने पी एम बनवाने का पाँसा फेंका था। 

एक और टिप्पणीकर्ता कामरेड नजीरुल हक साहब का दृष्टिकोण कि CPI और CPIM का विलय करके एक नई पार्टी बनाना  चाहिए तो ठीक है। परंतु व्यवहार में वैसा नहीं है जैसा कि दूसरे टिप्पणीकर्ता साहब ने कम्युनिस्ट पार्टियों में आंतरिक लोकतन्त्र होने की बात कही है। करात साहब की अधिनायकवादी और वाम  विरोधी निजी  स्वार्थपरक नीतियों के विरुद्ध ही तो येचूरी साहब को मुखर होना पड़ा है। 

भाकपा में भी कुछ पदाधिकारी करात प्रवृति के हैं कम से कम उत्तर प्रदेश में तो हैं ही। बीस वर्षों से प्रदेश पार्टी के सीताराम केसरी बने पदाधिकारी इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। वह राजधानी के ज़िला इंचार्ज भी हैं और उस रूप में सुपर जिलामंत्री खुद को समझते हैं । प्रदेश  कंट्रोल कमीशन के पूर्व सदस्य रमेश कटारा की भांति ही वह तांत्रिक प्रक्रियाओं का सहारा भी लेते हैं और 'एथीस्ट ' भी कहाते हैं। प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता को बदनाम करने व कमजोर करने के लिए वह अतीत में राजधानी के एक  पूर्व जिलामंत्री  को उनसे भिड़ा कर पार्टी से निकलवा चुके हैं। वह पूर्व जिलमंत्री तो अलग पार्टी बना कर विधायक व मंत्री भी बने तथा अब भाजपा सांसद बन गए हैं किन्तु उनके गुरु व प्रेरणा स्त्रोत रहे वह वरिष्ठ नेता आज भी उन सीताराम केसरी के षड्यंत्र का शिकार बने हुये हैं।  एक राष्ट्रीय सचिव व एक  वरिष्ठ नेता को गत वर्ष 30 नवंबर 2013  को मऊ में कामरेड झारखण्डे राय और कामरेड जय बहादुर सिंह की प्रतिमाएँ  जो लगभग आठ वर्षों से तैयार हैं के उदघाटन समारोह में आना था। अपने मौसेरे भाई आनंद प्रकाश तिवारी (जो अब निष्कासित हैं ) के जरिये इस पदाधिकारी ने उन वरिष्ठ कामरेड्स के विरुद्ध इतना घृणित अभियान चलवाया कि वह सम्पूर्ण कार्यक्रम ही  अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया।

ज़िला-स्तर पर कार्यकर्ताओं में विभ्रम उत्पन्न करना और परस्पर मन-मुटाव पैदा करना उनके बाएँ हाथ का खेल है। इसके लिए सारे नियम और पार्टी -परम्पराएँ तोड़ने में उनको आनंद आता है। उनकी हकीकत को उजागर करने वाले कामरेड को संघी घोषित करके निकलवा देने की अफवाह एक जन-संगठन के संयोजक से उड़वाते हैं तो दूसरे जन-संगठन के जिलाध्यक्ष से खुद के संबंध में कहलवाते हैं कि उनका विरोध करने वाला पार्टी में टिक नहीं सकता। ज़िला कार्यकारिणी के एक सदस्य से 16 सितंबर को  कहलवाया कि उनसे 36 का आंकड़ा रखने वाला बाहर का रास्ता देखने को तैयार रहे तो 2 अक्तूबर की एक गोष्ठी में अपने खास हिमायती के जरिये मुझे विचार व्यक्त करने में व्यवधान प्रस्तुत करवाया। 

किसी भी संगठन के विस्तार व विकास के लिए आवश्यक है कि 'लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं ' को सम्मान दिया जाये किन्तु ऐसी बातें केवल एक व्यक्ति की सनक की पूरती तो कर सकती हैं पार्टी का सांगठनिक विस्तार नहीं और यही उनका उद्देश्य भी है। यदि CPI और CPIM एक हो जाएँ तो ऐसे लोगों का खेल समाप्त हो सकता है तथा देश में साम्यवादी दल का वर्चस्व पुनः स्थापित किया जा सकता है।

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शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

स्मिता पाटिल और ज्योतिष विज्ञान ---विजय राजबली माथुर



उपरोक्त दोनों कटिंग्स स्वतः स्पष्ट हैं। दुनिया में दो तरह के अंध-विश्वासी हैं-एक वे जो ज्योतिष का नाम लेकर कही गई किसी भी अनर्गल बात को भी सिर माथे पर रख लेते हैं;दूसरे वे जो 'नास्तिकता' या 'एथीस्टवाद' के नाम पर ज्योतिष का  नाम लेने पर ही बिदक जाते हैं और उसे अवैज्ञानिक व अविश्वसनीय बताते नहीं थकते हैं। हालांकि ऐसे दो एथीस्टो ने खुद अपने,अपनी पत्नी एवं पुत्री की जन्मपत्रियों का विश्लेषण मुझसे करवाया भी है और ज्योतिष की आलोचना करना अपना परम धर्म भी समझते हैं। 

वस्तुतः 'विज्ञान' केवल प्रयोगशाला के बीकर में किए गए प्रयोगों का ही नाम नहीं है। "किसी भी विषय के नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्यन को विज्ञान कहा जाता है । " यह समस्त संसार स्वम्य में ही एक प्रयोगशाला है और यहाँ नित्य नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। मनुष्य के भविष्य से संबन्धित वैज्ञानिक अध्यन को ज्योतिष   विज्ञान कहा जाता है। 

ज्योतिष में गणित के सिद्धांतों के आधार पर गणना होती है । अंक गणित पर 'अंक ज्योतिष',बीज गणित पर 'जन्म कुंडली विश्लेषण' और रेखा गणित पर 'हस्त रेखा' का अध्यन आधारित है। ज्योतिष का मुख्य कारक ग्रह 'शुक्र' है साथ ही 'सूर्य'व 'बुध' भी ज्योतिष की प्रेरणा देते हैं। हथेली में यदि चंद्र रेखा का अस्तित्व हो तो इसे रखने वाला बिना किसी गणना के अन्तः प्रेरणा के आधार पर पूर्वानुमान करने में सक्षम होता है।

'स्मिता 'जी के संबंध में समाचार कहता है कि वह 'हस्त रेखा ' का ज्ञान तो रखती ही थीं ,उनको पूर्वानुमान करने की भी क्षमता प्राप्त थी। अमिताभ जी के बारे में उनकी गणना व पूर्वानुमान दोनों सही निकले थे और शबाना जी द्वारा उनके इस ज्ञान के संबंध में पुष्टि करने की भी चर्चा है। 

Saturday, April 7, 2012

शबाना आज़मी को सम्मान क्यों? http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html
Thursday, April 19, 2012

रेखा -राजनीति मे आने की सम्भावना--http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_19.html
रेखा जी के सांसद मनोनीत होने पर ब्लाग जगत में पूना प्रवासी भ्रष्ट-धृष्ट-निकृष्ट ब्लागर की पहल पर( जो खुद चार जन्म कुंडलियों का निशुल्क विश्लेषण मुझसे प्राप्त कर चुका था )मेरे ज्योतिषीय ज्ञान की खिल्ली उड़ाई गई थी। IBN7 से संबन्धित  उसके समर्थक एक ब्लागर द्वारा  अनेकों पोस्ट्स के माध्यम से  ज्योतिष विज्ञान की निंदा व आलोचना की गई थी। 
'स्मिता'जी के ज्योतिषीय ज्ञान के संबंध में संबन्धित लोगों से बढ़ कर दूसरा कौन जान सकता है? उनकी कोई जन्म कुंडली तो  किसी अखबार छ्पी नहीं देखी है। परंतु जो विवरण छ्पा है उसके अनुसार उनका 'शुक्र' ग्रह निश्चय ही प्रभावशाली था जिसका एक प्रमाण उनके प्रसिद्ध कलाकार होने से ही सिद्ध हो जाता है। निश्चित ही उनकी हथेली में प्रबल 'चंद्र' रेखा का अस्तित्व रहा ही होगा जो वह स्वप्न के आधार पर अमिताभ बच्चन जी को आगाह कर सकीं। उनकी चेतावनी पर ध्यान न देने के कारण ही  अमिताभ बच्चन जी त्रस्त हुये थे। 
ज्योतिष का मखौल उड़ाना जितना आसान है उसकी अवहेलना करने पर हानि से बचना नहीं। काश स्मिता जी पूर्ण आयु प्राप्त करतीं तो समाज उनके ज्योतिषीय ज्ञान से लाभ उठा सकता था। परंतु दुनिया का यह दुखद दस्तूर है कि किसी के जीवित रहते उसको उसका वाजिब हक व सम्मान नहीं दिया जाता है। जिन साहब ने मृतयोपरांत स्मिता  पाटिल जी के ज्योतिषीय ज्ञान को रेखांकित किया वह साधूवाद के पात्र हैं। 

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जन्मदिन / स्मिता पाटिल (17 अक्टूबर)
सुनाई देती है जिसकी धड़कन, तुम्हारा दिल या हमारा दिल है !

आधुनिक भारतीय सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में एक स्व. स्मिता पाटिल ने हिंदी और मराठी सिनेमा में संवेदनशील और यथार्थवादी अभिनय के जो आयाम जोड़े, उसकी मिसाल विश्व सिनेमा में भी कम ही मिलती है। रंगमंच से आई स्मिता ने 1975 में श्याम बेनेगल की फिल्मों - चरणदास चोर और निशान्त से अपनी फिल्म-यात्रा आरम्भ की ! उनके संवेदनशील और भावप्रवण अभिनय ने उन्हें उस दौर की दूसरी महान अभिनेत्री शबाना आज़मी के साथ तत्कालीन समांतर और कला सिनेमा का अनिवार्य हिस्सा बना दिया। यथार्थवादी सिनेमा के बाद व्यावसायिक फिल्मों में भी दर्शकों ने उन्हें हाथोहाथ लिया ! अपने मात्र एक दशक लंबे फिल्म कैरियर में स्मिता ने अस्सी से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्मों में अपने अभिनय के झंडे गाड़े, जिनमें कुछ चर्चित फ़िल्में थीं - निशान्त, मंथन, भूमिका, गमन, आक्रोश, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, चक्र, सदगति, बाज़ार, अर्थ, मंडी, मिर्च मसाला, अर्धसत्य, भवनी भवाई, शक्ति, नमक हलाल, गुलामी, भींगी पलकें, सितम, दर्द का रिश्ता, चटपटी, आज की आवाज़, अनोखा रिश्ता और ठिकाना। फिल्म 'भूमिका' और 'चक्र' में श्रेष्ठ अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा उन्हें दूसरी फिल्मों के लिए चार फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले थे। अभिनेता राज बब्बर से प्रेम और शादी उनके जीवन की त्रासदी थी ! शादी के कुछ ही वर्षों बाद 1986 में उनकी मृत्यु हो गई।
स्मिता पाटिल के जन्मदिन पर भावभीनी श्रद्धांजलि !
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=744094952333772&set=a.379477305462207.89966.100001998223696&type=1 

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गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

उत्तर-प्रदेश में क्या कम है आपसी लड़ाई और खींचातानी ? ---विजय राजबली माथुर



बेगूसराय के कामरेड्स की खींचतान से वहाँ हुये भाकपा के पतन से चिंतित कामरेड ने  कल जो टिप्पणी की है वह ध्यान देने लायक है। उससे पूर्व उत्तर-प्रदेश की जागरूक किसान/ महिला नेत्री कामरेड ने भी इसी प्रकार की टिप्पणी द्वारा वरिष्ठ नेताओं का ध्यानाकर्षण किया था। पता चला है कि प्रदेश के नीति-निर्धारक नेतृत्व ने इस प्रकार के ध्यानाकर्षणों को नज़रअंदाज़ करने का निर्णय लिया है। 

राष्ट्रीय नेतृत्व को जब-तब निशाने पर लेते रहने वाले वरिष्ठ पदाधिकारी महोदय ने ऐसे राष्ट्रीय नेतृत्व को सही मानने वाले कामरेड्स को प्रताड़ित करने का क्रम तीव्र कर दिया है। ज़िला-स्तर पर कार्यकर्ताओं में विभ्रम उत्पन्न करना और परस्पर मन-मुटाव पैदा करना उनके बाएँ हाथ का खेल है। इसके लिए सारे नियम और पार्टी -परम्पराएँ तोड़ने में उनको आनंद आता है। उनकी हकीकत को उजागर करने वाले कामरेड को संघी घोषित करके निकलवा देने की अफवाह एक जन-संगठन के संयोजक से उड़वाते हैं तो दूसरे जन-संगठन के जिलाध्यक्ष से खुद के संबंध में कहलवाते हैं कि उनका विरोध करने वाला पार्टी में टिक नहीं सकता। ज़िला कार्यकारिणी के एक सदस्य से 16 सितंबर को  कहलवाया कि उनसे 36 का आंकड़ा रखने वाला बाहर का रास्ता देखने को तैयार रहे तो 2 अक्तूबर की एक गोष्ठी में अपने खास हिमायती के जरिये मुझे विचार व्यक्त करने में व्यवधान प्रस्तुत करवाया। 

किसी भी संगठन के विस्तार व विकास के लिए आवश्यक है कि 'लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं ' को सम्मान दिया जाये किन्तु राजधानी के प्रदेश से नियुक्त ज़िला इंचार्ज होने के नाते (जबकि लखनऊ ज़िले में ही उनकी खुद की भी पार्टी सदस्यता है जिससे वह अघोषित सुपर जिलामंत्री हुये ) उक्त पदाधिकारी नियमों को तोड़ कर परम्पराओं की अवहेलना करवाते हैं। बैठकों की कार्यवाही मान्य नियमों/परम्पराओं के अंतर्गत सम्पन्न नहीं होने देते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से उनका उद्देश्य  और कृत्य केंद्र की फासिस्ट सरकार को मजबूत करने वाला ही प्रतीत होता है। उनके रहते प्रदेश में पार्टी को न तो मजबूत किया जा सकता है न ही पार्टी का विस्तार हो सकता है और यही उनका लक्ष्य भी है। 

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शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

'रेखा' ज्योतिष के आईने में-----विजय राजबली माथुर

जन्मदिवस (10 अक्तूबर ) पर विशेष रूप से -पुन :प्रकाशन

 


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सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री 'रेखा'
हिंदुस्तान,आगरा,03 जून 2007 मे प्रकाशित 'रेखा'की जन्म कुंडली 

सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री 'रेखा' किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उनके पिता सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता 'जेमिनी' गनेशन ने उनकी माता सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री पुष्पावल्ली से विधिवत विवाह नहीं किया था। उन्हें पिता का सुख प्राप्त नहीं हुआ और न ही पिता का धन ही प्राप्त हुआ। कुल-खानदान से भी लाभ नहीं मिला और समाज से भी आलोचनाओ का सामना करना पड़ा। इतनी जानकारी पत्र-पत्रिकाओं मे छ्पी है। किन्तु ऐसा क्यों हुआ हम ज्योतिष के आधार पर देखेंगे।

धनु लग्न और कुम्भ राशि मे जन्मी रेखा घोर 'मंगली'हैं और उनके द्वादश भाव मे 'शुक्र'ग्रह स्थित है जिसने उन्हे परिवार व समाज से लाभ नहीं प्राप्त होने दिया है। उनके दशम भाव मे जो पिता,कर्म व राज्य का हेतु होता है -कन्या राशि का सूर्य है। इस भाव मे सूर्य की स्थिति उनकी माता और पिता के विचारों मे असमानता का द्योतक है। इसी सूर्य ने उनकी माता को उनके पिता से अलग रखा और इसी सूर्य ने उन्हें खुद को पिता,परिवार व कुल से लाभ नहीं मिलने दिया। तृतीय भाव मे चंद्र ने बैठ कर कुटुंब सुख को और कम किया तथा पति भाव-सप्तम मे बैठ कर 'केतू' ने पति-सुख से वंचित रखा। द्वादश भाव मे 'शुक्र' मंगल की वृश्चिक राशि मे स्थित है जो जीवन भर 'उपद्रव'कराने वाला है और इसी ने उन्हें व्यसनी भी बनाया।

लग्न मे बैठे 'मंगल' की दृष्टि ने वैवाहिक सुख तो नहीं मिलने दिया किन्तु कला-ज्ञान और धन की प्रचुरता उसी ने उपलब्ध कारवाई। लग्न मे ही बैठे 'राहू' ने उन्हें शारीरिक 'स्थूलता' प्रदान की थी जिसे उन्होने अपने प्रयासों से नियंत्रित कर लिया है। यही 'राहू'  उन्हें छोटी परंतु पैनी आँखें ,संकरा तथा अंदर खिचा हुआ सीना,चालाकी तथा ऐय्याशी भी प्रदान कर रहा है।

तृतीय भाव मे बैठा चंद्र 'रेखा' को अल्पभाषी,व म्रदुल व्यवहार वाला भी बना रहा है जिसके प्रभाव से वह कम से कम बोल कर अधिक से अधिक कार्य करके दिखा सकी हैं। अष्टम भाव मे उच्च का ब्रहस्पति उन्हें दीर्घायु भी प्रदान कर रहा है तथा धनवान व स्वस्थ भी रख रहा है।

राज योग 

दशम भाव मे कन्या राशि का सूर्य 'रेखा' को 'राज्य-भंग ' योग भी प्रदान कर रहा है। इसका अर्थ हुआ कि पहले उन्हें 'राज्य-सुख 'और 'राज्य से धन'प्राप्ति होगी फिर उसके बाद ही वह भंग हो सकता है। लग्न मे बैठा 'राहू' भी उन्हें राजनीति-निपुण बना रहा है। एकादश भाव मे बैठा उच्च का 'शनि' उन्हें 'कुशल प्रशासक' बनने की क्षमता प्रदान कर रहा है। नवम  भाव मे 'सिंह' राशि का होना जीवन के उत्तरार्द्ध मे सफलता का द्योतक है। अभी वह कुंडली के दशम भाव मे 58(मूल लेख 2012 का है ) वे वर्ष मे चल रही हैं और आगामी जन्मदिन के बाद एकादश भाव मे 59 वे वर्ष मे प्रवेश करेंगी। समय उनके लिए अनुकूल चल रहा है।

राज्येश'बुध' की महादशा मे 12 अगस्त 2010 से 23 फरवरी 2017 तक की अंतर्दशाये भाग्योदय कारक,अनुकूल सुखदायक और उन्नति प्रदान करने वाली हैं। 24 फरवरी 2017 से 29 जून 2017 तक बुध मे 'सूर्य' की अंतर्दशा रहेगी जो लाभदायक राज्योन्नति प्रदान करने वाली होगी।

अभी तक रेखा के किसी भी राजनीतिक रुझान की कोई जानकारी किसी भी माध्यम से प्रकाश मे नहीं आई है ,किन्तु उनकी कुंडली मे प्रबल राज्य-योग हैं। जब ग्रहों के दूसरे परिणाम चरितार्थ हुये हैं तो निश्चित रूप से इस राज्य-योग का भी लाभ मिलना ही चाहिए। हम 'रेखा' के राजनीतिक रूप से भी सफल होने की मंगलकामना करते हैं। 

Thursday, April 19, 2012

रेखा -राजनीति मे आने की सम्भावना---विजय राजबली माथुर

http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_19.html 
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हिंदुस्तान,लखनऊ के 27-04-2012 अंक मे प्रकाशित सूचना-



शुभ समय ने अपना असर दिखाया और 'रेखा' जी को राज्य सभा मे पहुंचाया। हम उनकी सम्पूर्ण सफलता की कामना करते है और उम्मीद करते हैं कि वह 'तामिलनाडू' की मुख्य मंत्री पद को भी ज़रूर सुशोभित करेंगी।
27 अप्रैल,2012 

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शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

क्या घोंगावादी प्रवृती से जन -समर्थन मिल सकेगा ?

लखनऊ,03 अक्तूबर 2014 : कल गांधी/शास्त्री जयंती थी परंतु हम लोग 22-क़ैसर बाग,स्थित भाकपा कार्यालय पर पूर्व जिलामंत्री कामरेड बाबू खाँ साहब की 19 वीं पुण्य तिथि मनाने के लिए एकत्रित हुये थे।  विचार गोष्ठी की अध्यक्षता का भार वयोवृद्ध कामरेड शिव प्रकाश तिवारी जी के कंधों पर था। संचालन जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ साहब ने किया। उन्होने बाबू खाँ साहब के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने हेतु सर्व प्रथम वयोवृद्ध कामरेड मुख्तार अहम्मद साहब को आमंत्रित किया।
मुख्तार साहब ने बाबू खाँ साहब के साथ काम करने के अनुभवों के आधार पर उनका सरल शब्दों में गूढ परिचय दिया। एक सादगी पसंद और नेक इंसान के रूप में उनको सदैव याद किया जाएगा ऐसी उम्मीद उन्होने ज़ाहिर की।

ओ पी अवस्थी साहब ने बताया कि उनकी जन्मतिथि उपलब्ध न होने के कारण उनकी पुण्य तिथि मनाई जा रही है। उन्होने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति के कार्यों का मूल्यांकन उसके जाने के बाद ही हो पाता है। 
मधुकर मौर्या ने नितांत निजी सम्बन्धों के आधार पर बाबू खाँ साहब का बेहद गुण गान किया। उन्होने कहा कि बाबू खाँ जैसा न कोई और कामरेड हुआ है और न आगे होगा। 

दीपा पांडे जी ने बचपन की यादें समेटते हुये बाबू खाँ साहब की विलक्षण मनोवैज्ञानिक क्षमता का उल्लेख किया कि किस प्रकार वह छोटे-छोटे बच्चों को प्रगतिशील विचार धारा की ओर मोड़ने में सक्षम रहते थे। छोटी-छोटी बातों के जरिये वह बड़ी-बड़ी बातों को सरलतम ढंग से समझाने में बड़े माहिर थे। दीपा जी ने बताया कि अबके कामरेड्स में इस गुण का आभाव होना ही कामरेड्स के बच्चों को अपनी विचार-धारा से दूर ले जा रहा है। उन्होने यह भी कहा कि लोग परिवारवाद की आलोचना करते हैं परंतु उनकी चिंता है कि जब कामरेड्स के अपने परिवार के ही सदस्य दूर जाएँगे तो हम दूसरे लोगों को कैसे अपने साथ जोड़ पाएंगे। उन्होने इसकी एक वजह यह भी बताई कि बच्चे जब यह देखते हैं कि उनके माता-पिता द्वारा त्याग करने के बावजूद पार्टी में उनकी कद्र नहीं है तो वे पार्टी से दूर रहने में ही भलाई समझते हैं जिसकी वजह से पार्टी सिकुड़ती जाती है। उन्होने अपेक्षा की कि पार्टी में  कामरेड्स की कद्र करने की ओर ध्यान दिया जाएगा और परिवारों के सदस्यों को भी विचार-धारा से जोड़ा जाएगा। सभी ने दीपा जी के सुझावों की सराहना की। 

कामरेड राजपाल यादव ने इस दोहे के साथ बात की शुरुआत की कि ---
"दुख में सुमिरन सब करें,सुख में करे  न कोय। 
जो सुख में सुमिरन करे ,तो दुख काहे   होय । । "
उन्होने साफ-साफ कहा कि हमें निराश नहीं होना चाहिए और जीवन काल में ही कामरेड्स के गुणों को पहचान कर उनको सम्मान देना चाहिए। उन्होने कहा कि आदरणीय बाबू खाँ साहब जैसे और भी बहुत से कामरेड्स हमारे बीच में आज भी मौजूद हैं। इस कड़ी में उन्होने वर्तमान जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ साहब की तुलना पूर्व जिलामंत्री बाबू खाँ साहब से की। 

कामरेड विजय माथुर ने कहा कि हमें महापुरुषों का स्मरण उनके आचरण को अपने व्यवहार में उतारने का संकल्प लेकर करना चाहिए न कि उनकी यादगार सभा में केवल चाय -नाश्ता करके और कोरा गुण गान  करके खाना-पूर्ती करनी चाहिए। 
उन्होने  प्रारम्भ में  कामरेड नजीरुल हक साहब का लिखा वह नोट पढ़ कर सुनाया जिसमें हक साहब ने 27-28 सितंबर 2014 को इस्लामाबाद में 5 वामपंथी गुटों के द्वारा मिल कर एक 'पाकिस्तान वर्कर्स अवामी पार्टी' बनाने की सूचना दी थी और भारतीय वामपंथियों का आह्वान किया था कि 'दुनिया के मजदूरों एक हो का स्लोगन देने वाले खुद तो एक हो'। http://vijai-vidrohi.blogspot.in/2014/09/duniya-ke-mazddoro-ek-ho-ka-slogan-dene.html
इसके बाद उन्होने किसान सभा व महिला सभा की कर्मठ नेत्री कामरेड अर्चना उपाध्याय जी द्वारा जारी नोट जिसमें उत्तर-प्रदेश भाकपा से सकारात्मक कदम उठाने की मांग की गई थी का ज़िक्र किया। दीपा पांडे जी ने सुझाव देते हुये कहा कि कामरेड माथुर को नजीरुल हक साहब का नोट 'मुक्ति संघर्ष' व 'पार्टी जीवन ' को प्रकाशनार्थ भेज देना चाहिए। उनका जवाब देते हुये कामरेड माथुर ने कहा कि 'मुक्ति संघर्ष' को भेज देंगे (प्रधान संपादक शमीम फैजी साहब को फेसबुक मेसेज के जरिये अब भेज दिया है ) लेकिन 'पार्टी जीवन ' नहीं छापेगा क्योंकि उसके कार्यकारी संपादक प्रदीप तेवारी उनके प्रति वितृष्णा भाव रखते हैं। उन्होने पार्टी की सिकुड़ती हुई स्थिति व गिरती हुई साख के लिए प्रदीप तेवारी को जिम्मेदार ठहराया। 
बीच में अनाधिकृत हस्तक्षेप करते हुये मधुकर मौर्या ने माथुर को बैठ जाने को कहा। उनको टोकते हुये राजपाल जी ने पूछा कि जब  सभा अध्यक्ष जी व जिलामंत्री जी कुछ नहीं कह रहे हैं तो मधुकर मौर्या किस हैसियत से हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस पर अध्यक्ष जी व जिलामंत्री जी ने कामरेड माथुर को अपनी बात जारी रखने को कहा। किन्तु कामरेड माथुर ने यह कहते हुये कि --- 'सोते हुओं को तो जगाया जा सकता है लेकिन जो जागते हुये सोने का उपक्रम करें उनके लिए वह अब एक शब्द भी नहीं कहेंगे। जब इंसान उनको सुनने के लिए तैयार नहीं हैं तो दीवारों को सुनाने का कुछ फायदा नहीं है' ---आगे बोलने से इंकार कर दिया। *

कामरेड ख़ालिक़ साहब ने अपने मार्मिक उद्बोद्धन में बाबू खाँ साहब को निर्भीक,साहसी और ईमानदार नेता बताया। उन्होने ज़िक्र किया कि बाबू खाँ साहब कहते थे कि 'प' अक्षर से सावधान रहना चाहिए जैसे-पड़ौसी,पार्टी,पैसा,प्रचार,'प' अक्षर वाले आदमी आदि। ख़ालिक़ साहब ने बताया कि वह सबकी निस्स्वार्थ भाव से मदद करते थे और उनको किसी प्रकार का लालच नहीं था। बेहद सादगी से रहते हुये वह दबंग विचारों के धनी थे। सरकारी अधिकारी उनकी इज्ज़त करते हुये काम कर देते थे। उन्होने कहा कि सच में हमें आज बाबू खाँ साहब के आदर्शों पर चलने की बहुत ज़रूरत है।

अंत में धन्यवाद देने से पूर्व सभा-अध्यक्ष आदरणीय कामरेड शिव प्रकाश तिवारी जी ने कामरेड बाबू खाँ साहब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्यापक प्रकाश डाला। उन्होने इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए कामरेड ख़ालिक़ को विशेष धन्यवाद भी दिया। उन्होने कहा कि बाबू खाँ साहब में न तो लालच था और न ही घमंड जिस वजह से वह हमेशा कामयाब रहे। लेकिन अब के कामरेड्स उनके आचरण को अपने जीवन में उतारना ही नहीं चाहते। उन्होने युवा साथी राजपाल यादव की इस बात के लिए भूरी-भूरी प्रशंसा की कि उन्होने लखनऊ पूर्व से चुनाव लड़ कर पार्टी का झण्डा और पहचान घर-घर फिर से पहुंचा दी। उन्होने राजपाल यादव को पार्टी के लिए आशा की एक किरण बताया। उन्होने अशोक मिश्रा जी की प्रशंसा करते हुये कहा कि जब वह जिलामंत्री थे तो उन्होने उनकी काफी सहायता की थी। शिव प्रकाश जी ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और किसानसभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल अंजान को पार्टी की 'रीढ़' बताया। उन्होने कामरेड हरीश तिवारी के दामाद के भाजपा नेता होने का ज़िक्र करते हुये कहा कि कामरेड्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सन्तानें भी पार्टी की विचार-धारा को ही आगे बढ़ाएँ इसके लिए पार्टी में सभी कामरेड्स को समान महत्व दिये जाने की उन्होने आवश्यकता बताई। पार्टी के सिकुड़ते जाने के लिए उन्होने कुछ नेताओं के अहंकार और स्टेटस को उत्तरदाई माना। इस दुर्वस्था से निकाल कर पार्टी को जनता के बीच ले जाने की ज़रूरत पर उन्होने ज़ोर दिया। 
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* ज्ञातव्य है कि मधुकर मौर्या डॉ गिरीश शर्मा/प्रदीप तेवारी गुट की ओर से जिलामंत्री पद के संभावित प्रत्याशी हैं और इसी अहंकार में अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना कर प्रदीप तेवारी के प्रति अपनी निजी वफादारी का प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी पुत्री AISF की प्रदेश कोषाध्यक्ष है  और प्रदीप तेवारी AISF के प्रदेश इंचार्ज जिस कारण भी उनको प्रदीप की तरफदारी करना  भी बेहद ज़रूरी था। 

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