शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

स्मिता पाटिल और ज्योतिष विज्ञान ---विजय राजबली माथुर



उपरोक्त दोनों कटिंग्स स्वतः स्पष्ट हैं। दुनिया में दो तरह के अंध-विश्वासी हैं-एक वे जो ज्योतिष का नाम लेकर कही गई किसी भी अनर्गल बात को भी सिर माथे पर रख लेते हैं;दूसरे वे जो 'नास्तिकता' या 'एथीस्टवाद' के नाम पर ज्योतिष का  नाम लेने पर ही बिदक जाते हैं और उसे अवैज्ञानिक व अविश्वसनीय बताते नहीं थकते हैं। हालांकि ऐसे दो एथीस्टो ने खुद अपने,अपनी पत्नी एवं पुत्री की जन्मपत्रियों का विश्लेषण मुझसे करवाया भी है और ज्योतिष की आलोचना करना अपना परम धर्म भी समझते हैं। 

वस्तुतः 'विज्ञान' केवल प्रयोगशाला के बीकर में किए गए प्रयोगों का ही नाम नहीं है। "किसी भी विषय के नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्यन को विज्ञान कहा जाता है । " यह समस्त संसार स्वम्य में ही एक प्रयोगशाला है और यहाँ नित्य नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। मनुष्य के भविष्य से संबन्धित वैज्ञानिक अध्यन को ज्योतिष   विज्ञान कहा जाता है। 

ज्योतिष में गणित के सिद्धांतों के आधार पर गणना होती है । अंक गणित पर 'अंक ज्योतिष',बीज गणित पर 'जन्म कुंडली विश्लेषण' और रेखा गणित पर 'हस्त रेखा' का अध्यन आधारित है। ज्योतिष का मुख्य कारक ग्रह 'शुक्र' है साथ ही 'सूर्य'व 'बुध' भी ज्योतिष की प्रेरणा देते हैं। हथेली में यदि चंद्र रेखा का अस्तित्व हो तो इसे रखने वाला बिना किसी गणना के अन्तः प्रेरणा के आधार पर पूर्वानुमान करने में सक्षम होता है।

'स्मिता 'जी के संबंध में समाचार कहता है कि वह 'हस्त रेखा ' का ज्ञान तो रखती ही थीं ,उनको पूर्वानुमान करने की भी क्षमता प्राप्त थी। अमिताभ जी के बारे में उनकी गणना व पूर्वानुमान दोनों सही निकले थे और शबाना जी द्वारा उनके इस ज्ञान के संबंध में पुष्टि करने की भी चर्चा है। 

Saturday, April 7, 2012

शबाना आज़मी को सम्मान क्यों? http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html
Thursday, April 19, 2012

रेखा -राजनीति मे आने की सम्भावना--http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_19.html
रेखा जी के सांसद मनोनीत होने पर ब्लाग जगत में पूना प्रवासी भ्रष्ट-धृष्ट-निकृष्ट ब्लागर की पहल पर( जो खुद चार जन्म कुंडलियों का निशुल्क विश्लेषण मुझसे प्राप्त कर चुका था )मेरे ज्योतिषीय ज्ञान की खिल्ली उड़ाई गई थी। IBN7 से संबन्धित  उसके समर्थक एक ब्लागर द्वारा  अनेकों पोस्ट्स के माध्यम से  ज्योतिष विज्ञान की निंदा व आलोचना की गई थी। 
'स्मिता'जी के ज्योतिषीय ज्ञान के संबंध में संबन्धित लोगों से बढ़ कर दूसरा कौन जान सकता है? उनकी कोई जन्म कुंडली तो  किसी अखबार छ्पी नहीं देखी है। परंतु जो विवरण छ्पा है उसके अनुसार उनका 'शुक्र' ग्रह निश्चय ही प्रभावशाली था जिसका एक प्रमाण उनके प्रसिद्ध कलाकार होने से ही सिद्ध हो जाता है। निश्चित ही उनकी हथेली में प्रबल 'चंद्र' रेखा का अस्तित्व रहा ही होगा जो वह स्वप्न के आधार पर अमिताभ बच्चन जी को आगाह कर सकीं। उनकी चेतावनी पर ध्यान न देने के कारण ही  अमिताभ बच्चन जी त्रस्त हुये थे। 
ज्योतिष का मखौल उड़ाना जितना आसान है उसकी अवहेलना करने पर हानि से बचना नहीं। काश स्मिता जी पूर्ण आयु प्राप्त करतीं तो समाज उनके ज्योतिषीय ज्ञान से लाभ उठा सकता था। परंतु दुनिया का यह दुखद दस्तूर है कि किसी के जीवित रहते उसको उसका वाजिब हक व सम्मान नहीं दिया जाता है। जिन साहब ने मृतयोपरांत स्मिता  पाटिल जी के ज्योतिषीय ज्ञान को रेखांकित किया वह साधूवाद के पात्र हैं। 

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जन्मदिन / स्मिता पाटिल (17 अक्टूबर)
सुनाई देती है जिसकी धड़कन, तुम्हारा दिल या हमारा दिल है !

आधुनिक भारतीय सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में एक स्व. स्मिता पाटिल ने हिंदी और मराठी सिनेमा में संवेदनशील और यथार्थवादी अभिनय के जो आयाम जोड़े, उसकी मिसाल विश्व सिनेमा में भी कम ही मिलती है। रंगमंच से आई स्मिता ने 1975 में श्याम बेनेगल की फिल्मों - चरणदास चोर और निशान्त से अपनी फिल्म-यात्रा आरम्भ की ! उनके संवेदनशील और भावप्रवण अभिनय ने उन्हें उस दौर की दूसरी महान अभिनेत्री शबाना आज़मी के साथ तत्कालीन समांतर और कला सिनेमा का अनिवार्य हिस्सा बना दिया। यथार्थवादी सिनेमा के बाद व्यावसायिक फिल्मों में भी दर्शकों ने उन्हें हाथोहाथ लिया ! अपने मात्र एक दशक लंबे फिल्म कैरियर में स्मिता ने अस्सी से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्मों में अपने अभिनय के झंडे गाड़े, जिनमें कुछ चर्चित फ़िल्में थीं - निशान्त, मंथन, भूमिका, गमन, आक्रोश, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, चक्र, सदगति, बाज़ार, अर्थ, मंडी, मिर्च मसाला, अर्धसत्य, भवनी भवाई, शक्ति, नमक हलाल, गुलामी, भींगी पलकें, सितम, दर्द का रिश्ता, चटपटी, आज की आवाज़, अनोखा रिश्ता और ठिकाना। फिल्म 'भूमिका' और 'चक्र' में श्रेष्ठ अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा उन्हें दूसरी फिल्मों के लिए चार फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले थे। अभिनेता राज बब्बर से प्रेम और शादी उनके जीवन की त्रासदी थी ! शादी के कुछ ही वर्षों बाद 1986 में उनकी मृत्यु हो गई।
स्मिता पाटिल के जन्मदिन पर भावभीनी श्रद्धांजलि !
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