रविवार, 9 जून 2013

संकल्प कितना मंहगा?---विजय राजबली माथुर

जिस पत्रिका के लिए मैंने सहयोग का आश्वासन दिया है उसी के पी टी एस महोदय के संपर्क उन राजनीतिक ब्लागर व राजनेता महोदय से घनिष्ठतम  हैं । अतः उन्होने मुझे प्रवचन देते हुये बताया है कि मुझसे पूर्व कई लोग उनके साथ काम करने आए जिनमें कोई 10 दिन में तो कोई महीने भर में पलायन कर गया था। उन्होने अपने छात्र जीवन के किस्से बताते हुये यह भी जतलाया कि वह मार-धाड़ में भी रहे हैं और बाबू जगजीवन राम,इन्दिरा जी एवं एच एन बहुगुणा जी के साथ उनके मंच से बतौर छात्र नेता भाषण दे चुके हैं। कप्यूटर मरम्मत करने वाले और एक डिजाईनर साहब को वह बनाए रखना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि मुझे उनके साथ लंबी रेस मे रहना चाहिए ,तमाम लोग परेशान कर सकते हैं लेकिन वह मेरा समर्थन करेंगे। उनके प्रवचनों का अर्थ मैंने यह तत्काल लगा लिया था कि वह मुझे परेशान करने व उखाड़ने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। क्योंकि उनके प्रवचनों के एक भी शब्द का मेरे कार्य से कोई किसी भी प्रकार का संबंध नहीं था। सम्पूर्ण प्रवचन अनावश्यक व अनर्गल था। मुझे किसी अन्य कार्य करने वाले के कार्यों में हस्तक्षेप कहाँ?और क्यों करना था?किसी को भी मेरी शिकायत करने को क्यों तत्पर होना था?मुझे किसी से क्यों टकराना था?सब कुछ अव्यवहारिक बातें थीं उनके प्रवचन में किन्तु उनका कुछ तो अर्थ होगा ही जो मुझसे कहने की आवश्यकता आन पड़ी। 

उनके प्रवचन के अगले दिन  रास्ते में लौटते में एक मारुति कार (जिस पर उ .प्र.सचिवालय की तख्ती लगी थी)ने पीछे से मेरी साईकिल मे टक्कर मारी । पुनः उससे अगले दिन साईकिल के हैंडिल में एक स्कूटर वाले साहब ने टक्कर मारी ;इस सब का क्या उद्देश्य हो सकता है किसी व्याख्या का मोहताज नहीं है। 




जब इस सब का प्रभाव मुझ पर नहीं दिखाई दिया तो आर के एल साहब की माफिक तांत्रिक प्रक्रिया का सहारा लेकर मेरी पत्नी की तबीयत खराब करा दी परंतु तब भी मुझे अडिग देखते हुये साथ ही साथ पुत्र की तबीयत पर भी हमला किया गया।यह सब उस सब के बावजूद है जबकि मैंने उनके परिवार के कल्याण हेतु एक स्तुति उनको ई-मेल द्वारा भेजी है। यह आर पी पी/आर एस एस  की शुद्ध नकल प्रक्रिया है। 

पी टी एस साहब ने तिकड़म करते हुये मेरा आई डी/पास वर्ड हासिल कर लिया तो उसका मुक़ाबला करने हेतु पास वर्ड भी तब्दील करना पड़ा एवं एक नई आई डी/पास वर्ड सार्वजनिक कार्य हेतु बनाना पड़ा। 

बहरहाल याह बात साफ है कि यदि मैं दिये आश्वासन की पूर्ती करता हूँ तो कितनी जोखिम उठानी पड़ेगी पी टी एस  महोदय की क्या-क्या कृपा हो सकती हैं? मुझे पूर्वानुमान है।

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1 टिप्पणी:

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