मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

मिलना जुलना कमजोरी नहीं है(भाग-2)---विजय राजबली माथुर

जारी---

बारह बरस पाईप मे सीधा रखने के बाद भी जो सीधा न रह सके कुछ उस तरह के लोग हैं ये पूना प्रवासी ब्लागर और उसके चमचे। 'जेवरी जले पर उसके बल न जले' भी एक पुरानी -प्रसिद्ध कहावत है जो इन लोगों पर हू-ब -हू लागू होती है। अपने तोड़-फोड़ अभियान के तहत उस पूना प्रवासी ने अपनी पटना स्थित शिष्य को 25 अप्रैल 2012 को हमारे घर मिलने-जुलने के नाम पर भेजा था लेकिन अब पता चला है कि उसका उद्देश्य हमारे मकान का वेल्यूएशन करना था । पू प्र का उद्देश्य यशवन्त को गुमराह कर आर्थिक क्षति पहुंचाना था जिससे कि हमे अपना यह मकान भी बेच कर उसे बचाना पड़े। इन लोगों का उद्देश्य हमे सड़क पर पहुंचाना था। यदि यह पहले आभास हो जाता तो 13-05-2012 को पटना मे सोनिया बहुखंडी गौड़ के घर न जाते और न ही 12 को उसके पति प्रदीप गौड़ से उनके आफिस मे मिलते। इस संबंध मे मेरे फोन पर जो sms आए थे उनका विवरण यह है-

"Aap kal jarur aayen.Kal aapki kitne b je ki train h?"12-05-2012 ,09-00-11 am--- प्रदीप गौड़ ने अपने आफिस मे 12 मई की साँय 05 बजे मिलने बुलाया था। ---

"Pls come around 5 pm ".12-05-2012 ,11-00-32 am ---
"Kab tak aayenge aap dono?"13-05-2012 ,08-15-08 am ---

पहले सोनिया बहुखंडी ने यशवन्त को पूना मे कोई सर्विस ज्वाइन करने को कहा था जिसे मेरे कहने पर उसने मना कर दिया था। फिर प्रदीप उसे अपने आफिस मे  रु 10000/-पर नियुक्ति दिलवा रहे थे। जिसके लिए भी मैंने टलवा दिया था। अगले दिन उनके निवास पर भी मैंने स्पष्ट कर दिया था कि यशवन्त की ख़्वाहिश पर ही हम आगरा से लखनऊ घाटे पर शिफ्ट हुये हैं अतः लखनऊ के बाहर जाब नहीं करने देंगे।

जब यशवन्त मेरठ से कानपुर 'बिग बाज़ार' मे ट्रांसफर लेकर आ गया था और हमे जल्द से जल्द लखनऊ आने को कह रहा था तब डॉ शोभा ने हमे फोन पर कहा था कि उससे कानपुर मे जाब छुड़वा दो और वह कमलेश बाबू के मित्र लिटोरिया बिल्डर के यहाँ लखनऊ मे जाब कर ले। मैंने उनके सुझाव को न मानते हुये जाब छुड़वाने के बाद घर पर ही उसे साईबर खुलवा दिया था जिसके सहारे ही हम लोग ब्लाग जगत से संपर्क स्थापित कर सके। तब डॉ शोभा की पूनावासी छोटी बिटिया( जो विमान नगर मे प्रवासी ब्लागर की पड़ौसन रही है)ने ब्लाग्स मे यशवन्त व मुझे प्राप्त टिप्पणियों के माध्यम से ढुलमुल-ढुलमुल ब्लागर्स को टटोल कर उन्हे हम लोगों के विरुद्ध उकसाया/भड़काया।
 
(रश्मि प्रभा...Apr 27, 2012 07:21 AM



कब मैं हिट होउंगी ... और राज्य सभा की सदस्य बनूँगी - आईला

Replies



आप जल्दी राज्यसभा में पहुंचें,
मेरी भी शुभकामना है)

 27-04-2012 से मेरे ज्योतिषीय आंकलन के सही सिद्ध  होने   से बौखला कर (19 को मैंने 'रेखा राजनीति मे आने की संभावना'लेख ब्लाग मे दिया और राष्ट्रपति महोदया ने उन्हे 26 को राज्यसभा मे मनोनीत कर दिया था  ) मेरे विरुद्ध पूना प्रवासी ब्लागर द्वारा एक मुहिम चलाई गई। तब पटना मे उसकी शिष्या सोनिया बहुखंडी ने हमसे उसकी आलोचना की थी और हमे मेसेज मे भी उसके विरुद्ध लिखा था जो सब धोखा देने हेतु था।


सोनिया बहुखंडी गौड़
  • मैं अभी भी नहीं समझ पा रही की रश्मि प्रभा जी ने खिल्ली उढ़ाई होगी आपकी किन्तु मैं आपके ज्ञान की पूरी पूरी इज्जत करती हूँ। आप लोग बात करें ना करें हमेशा करती रहूँगी। सादर

    सोनिया बहुखंडी गौड़
    • नहीं चाचा जी मैं उस समय वहाँ नहीं थी प्रदीप थे और ये मुझे कोई बात शेर नहीं करते मुझे सुंनकर बहुत बुरा लग रहा है। ये सच बात है मुझे मोटी मोटी बात पता थी अगर वो इतना गलत काम आपके संग कर रही हैं तो मैं उनके साथ मित्रता कैसे रख सकती हूँ। विश्वास करिए की मैं आपको वास्तव मे दिल से अच्छे संबंध की तरह देखती हूँ। हाँ यशवंत को ठगा ये बात मुझे पता थी। आपके मैसेज से मुझे बहुत ही अच्छे रिश्ते की पहचान हूइ। मुझे आभाष हो गया था की आपने ही यश को माना किया होगा। दिल से किसी को नहीं निकाला जा सकता ये भी मैं जानती हूँ। रश्मि जी ने जब मेरे से कविता मांगी थी तो मैंने यश से पूछा था अगर आप मन से मुझे बेटी मानते तो बोलते की कोई जरूरत नहीं। देने की.... बिना पिता की बेटी हूँ आपसे स्नेह मिला तो लगा पापा फिर से मिल गए। आप यश को रोक सकते हैं आपका बेटा है। मैं तो बस दो दिन की ही बहन बन पाई दुख हुआ दिल से। अगर लगे की मैं सच कह रही हूँ तो यश से कहना की मेरे से बात करे। frown आप लोगों की मुझे जादा जरूरत है नाकी रश्मि जी की

      सोनिया बहुखंडी गौड़
      • Mujhe unse koi profit nahi. Hindi yugm k publisher ne mujhe niji msg de kar gujarish ki thi review likhne k liye. Wo review apne aap me ek kataksh tha dronacharya wala ex. Jiska uttar aap ne apne cmnt me de diya tha. Eklavya ka. Aur adhikar aapka bhi kuch bhi kahne ka ek baar phn to karte aap daante mujhe. Aap logon ne to mera phn bhi nahi pick kiya


       पूना प्रवासी ब्लागर ने पूनम के भाइयों को भी क्षेत्रवाद और जातिवाद के आधार पर हमारे विरुद्ध कर दिया था इसका कुछ-कुछ आभास प्रदीप जी के अपने आफिस मे की गई  चर्चा से हो गया था। बालाघाट वाले उनके छोटे भाई जिनको डॉ शोभा बहुत  अच्छा बताती हैं उन्हें हवाई जहाज मे बैठा कर जल्दी से जल्दी  लखनऊ रवाना करने का दबाव अपने भाई-भाभी पर बना रहे थे। अतः एक बार फिर घर मे ताला लगा कर उन्हे लेने यशवन्त और मैं पटना गए किन्तु उनके घर नहीं गए। गोलघर(पैसे वालों को जूते की ठोकर और पटना का गोलघर)आदि मे समय व्यतीत कर दिया और उनके घर के बिलकुल निकट से पूनम को साथ ले लिया। चूंकि कमलेश बाबू के भतीज दामाद कुक्कू-शरद पार्सल बाबू के कारनामों के कारण उनसे संपर्क नहीं रखा था और खुद डॉ शोभा के द्वारा  अप्रैल 2011 मे यशवन्त  को 'पूत-कपूत' कहने के बाद  से उन लोगों से भी संपर्क नहीं था अतः उन लोगों ने पूना प्रवासी ब्लागर के माध्यम से पूनम के भाइयों को भी तोड़ लिया।हालांकि आगरा मे जब विकट आर्थिक स्थिति आ गई थी और मेरे पास कुल रु 2000/- मात्र ही शेष रह गया था( और हमारी छोटी बहन  डॉ शोभा हेल्प मांग लेने का आश्वासन आगरा फोर्ट स्टेशन पर जयपुर जाते समय देकर भी फोन पर मदद मांगने पर चुप्पी साध गईं थीं तब)पूनम द्वारा अपनी भाभी जी  से ज़िक्र करने पर उन्होने तत्काल रु 5000/- का ड्राफ्टभेज दिया था। यह अलग बात है कि हमे वे रुपए खर्च नहीं करने पड़े और हमे अपने मकान के सौदे का एडवांस मिल गया था फिर भी त्वरित सहायता हेतु उनके एहसान को भुलाया नहीं जा सकता।

आगरा छोडने से पूर्व 2009 मे पूनम के आग्रह पर हम लोग पटना गए थे तब उनकी आरा वाली चाची का व्यवहार खटकने वाला था जिनकी बेटी भी पूना मे ही रहती है और पूना प्रवासी ब्लागर से संबन्धित है। उसी के माध्यम से पूनम के बड़े भाई-भाभी के दिमाग मे क्षेत्रीयता और जातीय संकीर्ता का प्रवेश करवाया गया। लखनऊ आने के बाद से पूनम का लगातार आग्रह पटना मिलने जाने  को था अतः मई 2012 मे हम लोग उनको वहाँ छोडने गए थे जब बहुखंडी ने sms भेजकर बुलाया था।



लखनऊ आकर मिलने के क्रम मे बड़े ताऊजी की बेटियों मे सबसे छोटी जो मुझसे छह माह ही छोटी हैं के घर न जा सके थे तो पूनम के पटना से लौटने के बाद 02 अक्तूबर 2012 को उनके घर भी गए थे। हाई कोर्ट मे एडवोकेट उनके पति जिनहोने 1992 मे ऋषिराज की शादी के वक्त अपने घर आने को बहुत ज़ोर दिया था अब 20 वर्ष बाद बहुत बदले हुये थे या डॉ शोभा और उमेश की लामबंदी का यह असर रहा हो सकता है। 

'' न गरज है न मजबूरी है;मेल रखना क्या ज़रूरी है?" मेरा एक सिद्धान्त है जिस पर तब अमल करता हूँ जब कोई झुकाने-दबाने का प्रयास करता है अन्यथा निस्वार्थ भाव से मैं सबकी मदद करने को सदैव तत्पर रहता हूँ। पहले तो डॉ शोभा ने मुझको कहा था कि मैं या तो उनके भोपाल मे शिफ्ट करूँ या पूनम के पटना मे । स्वतंत्र रूप से लखनऊ मेरा आना उनको नागवार लगा और क्योंकि यशवन्त की ऐसी इच्छा थी इसलिए सारा हमला उसे ही फोकस करके किया गया और पूना प्रवासी ब्लागर के माध्यम से भी उसे क्षति पहुंचाने का प्रयास हुआ। चूंकि लखनऊ आने पर कमलेश बाबू के तमाम पोल-पट्टे खुल गए अतः वह शोभा से मेरे यहाँ आने का विरोध कराते रहे। कमल दादा और शैल जीजी ने शोभा के बारे मे जांनकारीया  दी थीं उन दोनों का निधन 2011 मे हो गया  और माधुरी जीजी ने कमलेश बाबू के बारे मे  जिंनका निधन जनवरी 2012 मे हो गया। इन लोगों की सोच है यदि मेरा भी  निधन हो जाये तो वे यशवन्त को आसानी से दबोच सकते हैं। पूना प्रवासी ब्लागर के IBN7 मे कार्यरत चमचा ब्लागर ने तो पूरे परिवार को उड़ा देने की धमकी सितंबर मे दी थी।

हमे मिलना जुलना और मेल रखना तो पसंद है परंतु झुक-दब कर नहीं। इस सन्दर्भ मे पहले भी बिजौली के क्रांतिकारी जन कवि 'विजय सिंह,पथिक' जी का यह प्रेरक वचन  प्रस्तुत कर चुका हूँ फिर से दोहरा रहा हूँ---

"यश -वैभव-सुख की चाह नहीं,परवाह नहीं जीवन न रहे। ।
इच्छा है यह है-जग मे स्वेच्छाचार  औ'    दमन न 
 रहे । । "

क्रमशः ..................... 


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