शुक्रवार, 23 मार्च 2012

आगरा/1994 -95 / (भाग-2 )

मार्च के महीने मे दुकानों मे अकाउंट्स का काम ज्यादा होता था अतः मै काफी समय से इसी बहाने राजा-की-मंडी क्वार्टर पर नही गया हालांकि पार्टी आफिस बराबर जाता रहा था। होली पर भी नही गया था बावजूद शालिनी के कहने के।तब  संगीता ने चिट्ठी भेज कर अपनी सास की तरफ से शालिनी से मिलने आने को कहा था। लिहाजा एक रोज सुबह छोड़ गया था और शाम को लेने गया था और उस रोज पार्टी आफिस की छुट्टी करनी पड़ी। चाय के बाद संगीता और शालिनी अंदर के बारामदे मे बाते कर रही थी मुझे भी वहाँ बुलवा लिया। संगीता ने अक्तूबर की बात अब शालिनी को बताई होगी अतः शालिनी बोली कि भाभी जी आपसे होली खेलना चाहती थी आप आए नहीं। अब आज उन्हे पावडर लगा कर होली मना दे।संगीता ने पावडर का डिब्बा शालिनी को पकड़ा कर अपना सीना खोल लिया और शालिनी ने पावडर छिड़क कर मुझसे रगड़ देने को कहा। मेरे यह कहने पर कि जरूरत पर दवा लगाने और पावडर लगाने मे फर्क है - शालिनी ने खुद ही उनके पावडर छिड़क दिया। शालिनी ने बताया कि नौ जनवरी को संगीता जान-बूझ कर वैसा ब्लाउज पहन कर आई थी अगर आप ड्यूटी न चले गए होते तो ऊपर आनंद लेती।

हालांकि पार्टी आफिस जाकर जिला मंत्री कामरेड नेमीचन्द को मै पूर्ण सहायता करता था किन्तु रमेश मिश्रा जी उन्हे परेशान करने का कोई मौका नही चूकते थे। किशन बाबू श्रीवास्तव और एस कुमार के साथ हादसे हो चुके थे। कामरेड रामचन्द्र बख्श सिंह,MLC का एक पोस्ट कार्ड मिला जिसमे उन्होने 11 अप्रैल 1994 को रविन्द्रालय,लखनऊ मे 'उत्तर  प्रदेश भाकपा के समाजवादी पार्टी मे विलय सम्मेलन' मे शामिल होने को बुलाया था। मै नौ तारीख को चल कर 10 तारीख को लखनऊ आ गया और मीरा जीजी के घर पहुंचा क्योंकि माधुरी जीजी तब तक आफिस जा चुकी थी। दोनों के घर देने के लिए मिठाई लेने हलवाई की दुकान पर जैसे ही बढ़ा एकदम से मधु मक्खियों का एक झुंड आकर सिर पर चिपक गया जैसे -तैसे एक-एक मधु मक्खी को हटाया ,पूरा सिर और मुंह सूज गया था। माधुरी जीजी के एक बेटे को लेकर एक होम्योपैथी डॉ को दिखाया जिनहोने दवा दी और उससे लाभ हुआ। दिन मे सो गया जबकि सोने की आदत न थी। शाम को A-15,दारुल शफा मे कामरेड रामचन्द्र बख्श सिंह जी से मिलने गया वह बेहद खुश हुये कि आगरा से मै पहुंचा था। मेरे साथ महेंद्र जीजाजी भी गए थे उनको उनकी मदद चाहिए थी। रु 100/- के गबन के इल्जाम मे वह सस्पेंड हो चुके थे और बहाल होने के बाद भी अब उनका प्रमोशन प्रभावित हो रहा था। कामरेड रामचन्द्र जी ने न केवल आश्वासन दिया बल्कि अपनी ओर से उनकी पूरी पूरी मदद भी की जैसा कि खुद उन्होने स्वीकार किया था इस पत्र द्वारा-
(हालांकि तीन वर्ष बाद उन्होने रिश्ता भी तोड़ लिया था )

अगले दिन 11 अप्रैल को मै मय सामान के रविन्दरालय के लिए बस से जा रहा था परंतु महेंद्र जीजाजी बोले आफिस जाते मे तुम्हें रास्ते मे छोड़ देंगे और उन्होने रविन्दरालय के गेट पर मुझे छोड़ दिया। कामरेड मित्रसेन यादव जी ने मुझसे कहा जिस प्रकार भाकपा मे काम कर रहे थे उसी प्रकार अब सपा मे करना। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जी ने भाकपा से आए प्रत्येक पदाधिकारी को मंच पर बुला कर सम्मानित किया था जबकि पदाधिकारियों ने उन्हे । आगरा भाकपा के कोषाध्यक्ष की हैसियत से मंच पर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जी ने मुझ से भी हाथ मिलाया था।

'अमर उजाला',आगरा के प्रथम पृष्ठ पर छपी खबरों मे मेरा भी नाम था। तब शरद मोहन ने व्यंग्योक्ति भी की थी कि अभी तक मिश्रा जी का नाम प्रथम पृष्ठ पर नही छपा  था जबकि विजय बाबू का आ गया है। जलने-चिढ़ने वालो की कमी कभी नही होती है। जब नजीर बसंत मेला 1990 मे दूरदर्शन पर मिश्रा जी के साथ मेरा फोटो प्रदर्शित हो गया था तब भी ज़्यादातर लोग चिढ़ गए थे। पुराने कामरेड्स ने मिश्रा जी से आपत्ति भी की थी कि कामरेड माथुर को टी वी पर दिखा दिया उन्हे क्यों छोड़ दिया। वस्तुतः मिश्रा जी को खुद पता न था कि हम लोग टी वी पर प्रदर्शित हो जाएँगे चूंकि वह आगे अकेले बैठे थे उन्होने मुझे आगे बुला लिया था जबकि बाकी लोग पीछे ही बैठे रहे थे और टी वी पर न आ सके। 

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